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रविवार, 15 जुलाई 2012

एक है रचनाकार


पर्वत , झरना ,नदियाँ 
वृक्ष , जंगल ,चिड़ियाँ 
पवन, मिटटी, गगन 
वारि,  मेघ,   जीवन .




अस्थि, रक्त , त्वचा 
खान - पान ,  भाषा 
रहन - सहन,आचार 
जीवन-दर्शन,विचार 




एक - एक - एक 
एक   से     अनेक 
सूरज -  चाँद, तारे 
साँझ - भोर  न्यारे .




आते सबके  आँगन 
निर्बल,निर्धन,हरिजन 
वर्षा , प्रकाश, चाँदनी
नहीं किसी के अनुचर.




कैसा यह भेद-भाव 
खेल यह धूप- छाँव 
मानव का मानव से 
कैसा यह विलगाव ?




कौन ऊंचा-कौन नीचा 
कौन गोरा-कौन काला
जाति, वर्ण, धर्म  के 
बनाया  भेद  हमने .




सातरंग इन्द्रधनुष के 
पुष्प-दल   रंगे-बिरंगे 
सबका एक रचनाकार 
भिन्न रूप,गंध,आकर .   

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