पिय ने दस्तक दिया व्दार ,मानसून की तरह
मन में छाई हरियाली , पेड़- पौधों की तरह
बहुत दिनों बाद उबटन लगाया,स्नान किया
गात महका मिट्टी की सोंधी खुशबू की तरह
हवा के झोंके साथ में ,बारिश के बौछार लाये
तन- मन भीगा एक बार फिर,धरती की तरह
नभ में घुमड़-घुमड़ घन गरजे,दामिनी-दमके
उमगा मन,आशा- अंकुरे नव-बीजों की तरह
बूढ़े-पातों ने गिरकर,ऋण चुकाया वसुधा का
नव-वस्त्र पहना,कोमल,शादाब पत्रों की तरह
फूल खिले रंगे-बिरंगे,चतुर्दिक हुआ सुवासित
प्यार ने किया श्रंगार आज , धरती की तरह
व्योम में खीचा वितान छोरों पर इंद्र-चाप का
मिलन होगा प्रियतम से वहाँ, मीरा की तरह
बेह्तरीन अभिव्यक्ति .
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