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रविवार, 8 जुलाई 2012

पावस-ऋतु


रिम-रिम-झिम!रिम-झम!छम-छम!छम-छम! 
पवन पुरवाई गीत सुनाये
वर्षा ले कन्धों पर आयी
ग्रीष्म-ऋतु की तपन बुझाई
वन-उपवन हरियाली छायी
घर-आँगन बजे शहनाई
नभ मेघ-मल्हार सुनाये
पपीहा और दादुर हर्षाये
मयूरा नाचे मस्ती-मस्ती
छायी खुशियाँ बस्ती-बस्ती








हर-नागर अंतरी-कोतरी
उठा किशान बोनी-बखरी
कलेवा ले चली सजनी
बन-ठन अलबेली,सुघड़-सलोनी
छन-छन!छन-छन!
रुन -झुन! रुन-झुन!
कदम-कदम नूपुर बजती
टन-टन!टन-टन!बजती
बैलों के गले में बंधी घंटी
गौरी,कोशी,भूरी चरती
तट पर ग्वाल बजाता बंसी
झर-झर !झर-झर!झरना झरते
उफ़न-उफ़न नाले बहते
कोयल कूक रही फुलवारी
चिड़ियाँ चहक-चहक कर गातीं




तितलियाँ घूमे रंग-बिरंगी
नीली-पीली ,लाल,गुलाबी
बगुले बैठे आंती-पांती
मेढ़ों की करें रखवाली 
मछली रानी बड़ी सायानी
संतों की चोला पहचानी
हाट-बाजार ज्यों छैले घूमें
फूल-फूल भौरे गुन्जारें
इन्द्र-धनुष छटा बिखराये
पावस प्रणय-प्यास बुझाये.

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