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शुक्रवार, 13 जुलाई 2012

प्रेम,दया, त्याग,भाईचारा का बुतों से संस्कार ही ले लें  
बुत-परस्ती की जबरदस्ती नहीं,मत मानिये ईश्वर इन्हें  
संकल्प अमूर्त होते हैं मन में,साकार होने पर मूर्त होते 
सच्चाई को दूर न करें अपने से,आँख के पास ही रहने दें.

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