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मंगलवार, 31 जुलाई 2012

संवाद-संप्रेषण

हम वहां थे ,हम वहां नहीं थे 
क्या कहा आपने,नहीं समझे 


आपने कहा,हमने सुन लिया 
आपकी कहा हम ठीक समझे 


आप चुप रहे,हम भी चुप रहे 
अनकही-कही को भी समझे 


क्या कहा,वे कुछ और समझे 
नासमझी में अपने दुखी हुये 


आप ने कहा और सुना उन्होंने 
फिरभी अनसुनी कर,चल दिये


आपने जो कहा वो समझ लिये
अर्थ का अनर्थ, फिर क्यों किये 


कहते-सुनाते समय काफी बीता 
कुछ समझे,कुछ फिर नहीं समझे 


  




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