मगर आ गया है ले परिवार अपना
पूरे तालाब को जागीर बना लिया
सफाचट करते जा रहे हैं जीवों को
आकार बढ़ता जा रहा है उनका
भाग रहे हैं जलचर विकल इधर-उधर
न्यायान्याय,झूठ-सच नहीं है मुद्दा
थलचर-नभचर पानी नहीं पी सकते
बना लेते हैं ग्रास मगरमच्छ अपना
मगर ने पकड़ लिया पाँव गजराज का
गज कर रहा आरत पुकार है प्रभु का
क्यों कर रहे देर विनाशय च दुष्कृतः ?
चक्रधर!कहाँ है सुदर्शन चक्र आपका ?
(साथियो !भ्रटाचार ही वह मगरमच्छ है जिससे पूरा देश त्रस्त है )
पूरे तालाब को जागीर बना लिया
सफाचट करते जा रहे हैं जीवों को
आकार बढ़ता जा रहा है उनका
भाग रहे हैं जलचर विकल इधर-उधर
न्यायान्याय,झूठ-सच नहीं है मुद्दा
थलचर-नभचर पानी नहीं पी सकते
बना लेते हैं ग्रास मगरमच्छ अपना
मगर ने पकड़ लिया पाँव गजराज का
गज कर रहा आरत पुकार है प्रभु का
क्यों कर रहे देर विनाशय च दुष्कृतः ?
चक्रधर!कहाँ है सुदर्शन चक्र आपका ?
(साथियो !भ्रटाचार ही वह मगरमच्छ है जिससे पूरा देश त्रस्त है )
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