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रविवार, 12 अगस्त 2012

यात्रा मूलाधार से


सरोवर के तलछट में 
जमे पंक में 
पैदा हो 
बाहर निकला गहरे जल से 
सुरत -निरत का नाल ,
खिला सहस्त्र-दल ,उस पर अलिप्त
निरखें हंस
सहस्त्र चन्द्र
निरभ्र-नभ में गुंजित
अनहदनाद !

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