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मंगलवार, 14 अगस्त 2012

आइना हर युग का सच तेरे पास रखा है
साहित्य,कला, संस्कृति में सजा रखा है

आइना बयान करता है सच रौशनी का 
अन्धेले का सच नहीं कहता,चुप रहता है 

मेरी आँखे मुझे नहीं देख पाती,फिरभी 
आइना मेरा सच-सच बयान करता है 

छोटी-बड़ी,आड़ी-तिरछी,ऊँच-नीच हर
परिस्थितियों का ज्ञान आइना रखता है 

अवतल,उत्तल,कई प्रकार आइना का 
आकार के पहले उसका प्रकार देखना है 

गत-आगत का एहसास कराता आइना  
कभी झूठ-सच,कभी भ्रम पैदा करता है 

उलझ जाता है मन देख श्वेत केशों को  
ऐ आइना!तू रंगों का सच, पाता कहाँ है 

आइना तू सच बोलता है तो बता सच 
आज तो मैंने बालों में रंग करा रखा है 

हर एक चेहरा आइना है,प्रतिबिम्ब भी 
आइना,आईने में अपनी अक्स ढूढ़ता है 


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